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मणिपुर वीडियो मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'मामलों के घटित होने और एफआईआर दर्ज करने में काफी चूक हुई।'

 भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी।



मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने 1 अगस्त को मणिपुर में जातीय हिंसा पर सुनवाई के दौरान राज्य पुलिस की आलोचना की और कहा कि पिछले दो महीनों में राज्य में संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने जांच को 'धीमी' और 'सुस्त' तक करार दिया और अपनी तीखी टिप्पणी में कहा कि एफआईआर दर्ज करने और बयान दर्ज करने में देरी हुई है।

सुनवाई के मुख्य अंश इस प्रकार हैं:

1) सीजेआई ने बताया कि 4 मई को हुई घटना के लिए 26 जुलाई को एफआईआर दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि एफआईआर दर्ज करने में काफी देरी हुई है।

2) सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा लगता है कि 1-2 एफआईआर को छोड़कर किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। जांच बहुत सुस्त है, एफआईआर दो महीने बाद दर्ज की जाती है और बयान दर्ज नहीं किए गए।

3) सीजेआई ने पूछा, "अगर कानून और व्यवस्था मशीनरी लोगों की रक्षा नहीं कर सकती, तो उनका क्या होगा?" इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमने मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया है।

4) यह पूछे जाने पर कि मणिपुर पुलिस ने कितनी गिरफ्तारियां की हैं, सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि 250 गिरफ्तारियां की गई हैं और 12,000 गिरफ्तारियां निवारक उपायों के रूप में की गई हैं

5) सीजेआई ने सुनवाई के दौरान पूछा, ''इन 6500 एफआईआर में से कितनी में शारीरिक क्षति, संपत्ति को नष्ट करना, धार्मिक स्थल, घर, हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं, उनकी जांच फास्ट ट्रैक तरीकों से करनी होगी।''

6) इसमें आगे कहा गया कि दो महीने तक राज्य पुलिस प्रभारी नहीं थी। हो सकता है कि उन्होंने प्रदर्शनात्मक गिरफ़्तारियाँ की हों लेकिन वे प्रभारी नहीं थे। या तो वे ऐसा करने में असमर्थ थे या अनिच्छुक थे।

7) सुप्रीम कोर्ट को यह जानना होगा कि कितनी एफआईआर और आरोपियों के विशिष्ट नाम दर्ज किए गए हैं और यदि एफआईआर में नाम हैं, तो उन्हें गिरफ्तार करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

8) मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अब तक महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा से संबंधित 11 एफआईआर सीबीआई के पास जा सकती हैं।

9) सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मामलों के घटित होने और एफआईआर दर्ज करने में काफी चूक हुई है।

10) पीठ ने तब निर्देश दिया कि मणिपुर के डीजीपी शुक्रवार को दोपहर 2 बजे इस अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों और अदालत को जवाब देने की स्थिति में हों।

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